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1.
भारत का पहला स्वदेशी गोताखोरी सहायता पोत निस्तार शुक्रवार को नौसेना में शामिल हो गया। यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी उपलब्धि है। जलावतण समारोह में मौजूद रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने ने इसे गर्व का क्षण बताया। कहा, निस्तार भारत की वैश्विक पहचान बढ़ाएगा। 'निस्तार' नाम संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है मुक्ति या मोक्ष। पोत में अत्याधुनिक गोताखोरी उपकरण लगे हैं। निस्तार को पुराने पौत से बनाया गया है। इस मौके पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कहा, पुराने पौत कभी नष्ट नहीं होते, वे हमेशा उन्नत रूप में लौटते हैं। भारत के पहले स्वदेशी गोताखोरी पोत का जलावतरण हम सभी के लिए गौरव का क्षण है। नया निस्तार पनडुब्बियों सहित गहरे पानी में डूबे जहाजों को बचाने की उन्नत क्षमता के साथ अपनी विरासत को आगे बढ़ाएगा। निस्तार भारत और क्षेत्रीय साझेदारों की पनडुब्बी बचाव क्षमताओं को बढ़ाएगा। भारत वैश्विक स्तर पर पनडुब्बी बचाव में अहम साझेदार के रूप में उभरेगा।
2.
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए सभी राजनीतिक दल एकमत हैं। इससे संसद के आगमी मानसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने का रास्ता साफ हो गया है। इस वर्ष मार्च में जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आवास पर आग लगने की घटना हुई थी। इस दौरान अधजले नोटों से भरी बोरियां बरामद हुई थीं। उस समय जस्टिस बाँ दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश थे। उनको बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट वापस भेज दिया गया, लेकिन उन्हें कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपा गया। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा, वह प्रस्ताव पर विभिन्न दलों के नेताओं के साथ समन्वय कर रहे हैं, ताकि संसद का सर्वसम्मत रुख समने आ सके। महाभियोग प्रस्ताव पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
3.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआइ) से उन गरीब एलएलबी स्नातकों का शुल्क माफ करने की योजना के बारे में पूछा, जो वकील बनने के लिए अखिल भारतीय बार परीक्षा (एआइबीई) देते हैं। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और अतुल एस चंदुरकर की पीठ ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों (एनएलयू) द्वारा एलएलबी पाठ्यक्रमों के लिए लगाए गए अत्यधिक ऊंचे शुल्क की भी आलोचना की और कहा, शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत है।
4.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को संबंधित विशेष कानूनों के तहत मामलों के लिए अदालतें नहीं बनाने के लिए फटकार लगाई। शीर्ष कोर्ट ने कहा विशेष अदालतों की स्थापना नहीं हुई तो अदालतें एनआइए व यूएपीए जैसे विशेष कानूनों के तहत आरोपितों को जमानत देने के लिए मजबूर होंगी।
5.
इस मानसून सीजन में भारत ने अब तक सामान्य से नौ प्रतिशत अधिक वर्षा प्राप्त की है, लेकिन यह वर्षा देशभर में समान रूप से वितरित नहीं हुई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) के आंकड़ों के अनुसार कुछ राज्यों जैसे झारखंड, राजस्थान और लद्दाख ने सामान्य से कहीं अधिक वर्षा हुई है, जबकि कई अन्य विशेष रूप से पूर्वोत्तर और दक्षिणी भागों में बड़ी कमी का सामना कर रहे हैं। एक जून से 16 जुलाई के बीच देश ने 331.9 मिमी वर्षा प्राप्त की, जो इस अवधि के लिए सामान्य 304.2 मिमी वर्षा से लगभग 9 प्रतिशत अधिक है। लेकिन यह औसत बड़े पैमाने पर स्थानिक भिन्नता को छुपाता है।
6.
भारतीय बौद्धिक किसी भी मुद्दे मुद्दे पर लड़ते-उलझते रहने मैं मशगूल रहते हैं, उसके समाधान की चिंता से निर्लिप्त। कई मुद्दों पर वही तर्क-वितर्क दशकों से सुने जाते हैं, पर मुद्दे की स्थिति जस की तस या बिगड़ती जाती है। भाषा नीति इसका उदाहरण है। अभी अधिकांश विवाद ठाकरे बंधुओं की निंदा पर केंद्रित है। कुछ समय पहले तमिल नेता स्टालिन की फजीहत करने में ही ज्यादा ऊर्जा खर्च हुई थी, जबकि भारत की भाषा नीति विगत आठ दशकों में क्या बनी और क्या हुई, इस पर उदासीनता ही रही है। ठाकरे बंधु हाल में राजनीतिक मंच पर आए। उनका मात्र एक प्रदेश में थोड़ा प्रभाव है, किंतु इससे पहले क्या था ? सच तो यह है कि स्वतंत्र भारत की भाषा नीति शुरू से बिन पतवार की नाव है। औपचारिक रूप से हिंदी 'राजभाषा' है, पर व्यवहार में हर क्षेत्र में सिर्फ अंग्रेजी का स्थान बढ़ता गया। यह उन नीतियों का परिणाम है, जिन्हें किसी अहिंदी नेता ने नहीं बनाया। अंग्रेजी द्वारा हिंदी समेत सभी भारतीय भाषाओं का क्रमशः विस्थापन किसी तमिल या मराठी राजनीति की देन नहीं है, लेकिन इस पर कोई विचार नहीं कर रहा है।
7.
भारत सरकार एक महत्वपूर्ण चर्चा पत्र जारी करने जा रही है, जो राष्ट्रीय क्रिप्टो नीति के लिए आधार तैयार कर सकता है। इससे इस क्षेत्र में आशा और घबराहट, दोनों तरह की भावनाएं पैदा हो रही हैं। इस बीच पारंपरिक संस्थान और नीति निर्माता सतर्क, लेकिन आशावादी बने हुए हैं, जो इस क्षेत्र की अस्थिरता की और इशारा करता है। डेवलपर्स, फिनटेक इनोवेटर्स और डिजिटल की दुनिया के दिग्गजों के तेजी से बढ़ते समुदाय के साथ हमारे देश में इस वित्तीय व्यवस्था परिवर्तन का नेतृत्व करने के लिए संख्या-बल और प्रतिभा मौजूद है। वास्तव में 10 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ भारत आज दुनिया के सबसे अधिक क्रिप्टो उपयोगकर्ता वाले देशों में से एक बन गया है। यही सबसे महत्वपूर्ण बात है। सरकार का कदम इसमें भूमिका निभाएगा कि दुनिया भारत को डिजिटल भविष्य में कैसे देखती है। विश्व में क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता और बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि हाल में अमेरिका ने जीनियस एक्ट बनाया है, जो स्टेबलकाइन के लिए पहला व्यापक संघीय ढांचा स्थापित करता है। यह कानून बैंकों, फिनटेक फर्मों और खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टेबलकाइन जारी करने का मार्ग प्रशस्त करता है, जिससे बाजार का विस्तार संभावित रूप से दो लाख करोड़ डालर से अधिक हो सकता है। वैश्विक स्तर पर यह कानून विनियामक स्पष्टता के लिए मिसाल कायम करता है और दुनिया भर में और विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशियाई बाजारों में इसी तरह के ढांचे को प्रेरित कर सकता है।
8.
अब समोसे, जलेबी, पकौड़े और मिठाइयों पर भी चेतावनी छपने की नौबत आ चुकी है, कुछ वैसे ही जैसे सिगरेट के पैकेट पर होती है। इन सबके सेवन पर कितना शक्कर और तेल आपके शरीर में जाएगा, इस बारे में बाकायदा बोर्ड पर सूचना लगी होगी। इसका मकसद लोगों को यह बताना है कि वे जो कुछ भी खा रहे हैं वह स्वाद में भले लाजवाब हो, लेकिन सेहत के लिए कितना भारी पड़ सकता है।
9.
तमाम वैश्विक बाधाओं के बावजूद भारत बारवकराधा के सबावजूद महंगाई अपेक्षाकृत नियंत्रण में है। फिर भी पिछले कुछ समय से महंगाई का ग्राफ बढ़ रहा है। ऐसे में जनता को महंगाई से राहत देने के लिए सरकार नए सिरे से प्रयास करती दिख रही है। इसके लिए सबसे पहले कर प्रणाली में सुधार का महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा सकता है। इस संबंध में सबसे अधिक चर्चा जीएसटी स्लैब के बारे में हो रही है। दरअसल वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी की चार स्लैब में से दूसरी यानी 12 प्रतिशत की स्लैब को लेकर जिस तरह की चर्चा हो रही है उससे मध्य व निम्न वर्ग में आशा का संचार होने लगा है। समाज का मध्यम और निम्न वर्ग सबसे अधिक प्रभावित जीएसटी की 12 प्रतिशत वाली स्लैब से ही हो रहे हैं। इन वर्गों से जुड़ी वस्तुएं या सेवाओं पर लगने वाला कर सीधा सीधा इन्हें प्रभावित करता है। इसका कारण भी साफ है कि दैनिक उपभोग की अधिकांश वस्तुएं इसी स्लैब में आती हैं। खाने-पीने की वस्तुओं के साथ ही जूते-चप्पल, कपड़े आदि भी इसी स्लैब में आते हैं।
10.
अमेरिका ने इंडोनेशिया और वियतनाम के साथ फोन पर व्यापार समझौता किया है, जो भारत को रास नहीं आएगा। विदेश व्यापार के जानकारों का कहना है कि इस प्रकार के समझौते से भारत को बचना चाहिए और कोई भी समझौता दोनों पक्षों की मौजूदगी में दस्तावेज के माध्यम से होना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर उस समझौते का कोई मतलब नहीं रह जाता है। ट्रंप ने वियतनाम और इंडोनेशिया के साथ फोन पर समझौते का एलान किया है। दोनों पक्षों की तरफ से एक साथ न तो समझौते का एलान किया गया है और न किसी दस्तावेज पर हस्ताक्षर हुए हैं। इंडोनेशिया और वियतनाम दोनों ही ट्रंप की तरफ से घोषित शुल्क को एकतरफा बता रहे हैं।
11.
दलहन में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य में अरहर का रकबा रुकावट डाल सकता है। चालू खरीफ वर्ष में अरहर के रकबे में तेज गिरावट आई है। कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट बता रही है कि 17 जुलाई तक अन्य दालों के रकबे में तो वृद्धि हुई है, परंतु अरहर के रकबे में पौने दो लाख हेक्टेयर से ज्यादा की गिरावट है। यह स्थिति तब है जब सरकार 2030-31 तक दलहन में आत्मनिर्भरता के लिए अभियान चलाने जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि बड़ी मात्रा में सस्ती पीली मटर और अरहर दाल के आयात से अन्य दालों की कीमतों में एक साल से गिरावट आ रही है, जिसका असर रकबे पर पड़ा है।
12.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एवं केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि देश का पहला भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइसीटी) मुंबई के गोरेगांव स्थित फिल्म सिटी परिसर में 400 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होगा। दोनों नेताओं ने यह घोषणा शुक्रवार को पैडर रोड स्थित एनएफडीसी परिसर में आइआइसीटी के प्रारंभिक कैंपस की शुरुआत करते हुए कही।
13.
हवा में बढ़ते फंगल स्पोर्स फ्लू और कोविड के आने का संकेत देते हैं। नई रिसर्च के मुताबिक, जब ये बढ़ते हैं तो कुछ दिनों मैं संक्रमण भी बढ़ने लगता है खासकर सर्दियों में। अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित लिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन के दौरान पाया कि हवा में फंगल स्पोर्स की मात्रा बढ़ने पर अक्सर कुछ ही दिनों में फ्लू और कोविड-19 के मामले भी तेजी से बढ़ने लगे। एएसएम माइक्रोब में प्रकाशित इस अध्ययन के लिए टीम ने 2022 से 2024 के दौरान ऐसे मामलों से जुड़े डाटा का विश्लेषण किया। इसके लिए विज्ञानियों ने सांख्यिकीय और मशीन लर्निंग माडल का इस्तेमाल किया।
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