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DAINIK JAGRAN

1.

लगातार आठवीं बार इंदौर बना देश का सबसे स्वच्छ शहर, छोटे शहरों में एनडीएमसी-नोएडा ने मारी बाजी

शहरों को स्वच्छता जाँचने के लिए कराए गए स्वच्छ सर्वेक्षण-2024-25 में इंदैर एक बार फिर देश का सबसे स्वच्छ शहर बनकर उभरा है। उसने लगातार आठवीं बार यह खिताब जीता है। स्वच्छ सुपर लीग में 10 लाख से ज्यादा आबादी बाले शहरों की श्रेणी में इंदौर के बाद दूसरे नंबर पर सूरत और तीसरे नंबर पर नवी मुंबई ने जगह बनाई है। वहीं, स्वच्छ सुपर लीग में छोटे शहरों में नई दिल्ली के एनडीएमसी और नोएडा जैसे शहरों ने शीर्ष पर जगह बनाई है। 


2.

'डिजाइनर बेबी' की दिशा में एक कदम आगे बढ़ा मेडिकल जगत

तमाम दंपतियों का वो सपना अब पूरा होने की और बढ़ चला है जिसके तहत वे अपने शिशु के बाल घुंघराले, आंखें नीली और इस तरह की तमाम खूबियां देखते हैं। कुदरत के बनाए नियमों से छेड़छाड़ की बहस से इतर मेडिकल जगत ने इस तरह की 'डिजाइनर बेबी' बनाने की दिशा में अहम उपलब्धि हासिल की है। ब्रिटेन के विज्ञानियों ने 'श्री पर्सन इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) तकनीक' का उपयोग करके आठ बच्चों को जीवन दिया है। ये ऐसे बच्चे हैं जो आनुवंशिक रोगों से (माता-पिता से बच्चे में आने वाली बीमारी) से शत-प्रतिशत मुक्त होंगे। इन बच्चों का जन्म तीन व्यक्तियों के डीएनए का उपयोग करके हुआ। इनमें चार लड़कियां और चार लड़के हैं जिनमें एक समान जुड़वां बच्चे भी शामिल हैं।


3.

एके-203 राइफल दिसंबर में बन जाएगी स्वदेशी 'शेर', सेना को होगी दोगुनी आपूर्ति

भारतीय सेना के लिए रूस की संयुक्त भागीदारी में यहां बन रहीं आधुनिक क्लाश्निकोव श्रेणी की राइफल एके-203 के सभी कलपुर्जी का निर्माण वर्ष के आखिर तक भारत में होने लगेगा। साथ ही इसे स्वदेशी 'शेर' राइफल का नया नाम भी मिल जाएगा। अमेठी की फैक्ट्री से शत-प्रतिशत स्वदेशी पहली 'शेर' राइफल इस वर्ष 31 दिसंबर तक निर्मित कर सेना को आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी। इंडियन रशियन राइफल प्रोडक्शन लिमिटेड (आइआरआरपीएल) के सीईओ के मुताबिक जून, 2026 से यहां प्रतिदिन 600 राइफलें यानि हर 100 सेकेंड में एक राइफल बनने लगेगी।

परिणामस्वरूप सेना को अगले वर्ष से 70 हजार की जगह हर वर्ष 1.20 लाख 'शेर' राइफलों की आपूर्ति की जाएगी और भारतीय सेना को सभी छह लाख राइफलें करीब दो वर्ष पहले ही मिल जाएंगी।


4.

रूस व चीन के साथ त्रिपक्षीय सहयोग को भारत तैयार

रणनीतिक साझीदार होने के बावजूद जिस तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व उनकी सरकार के कुछ सहयोगी भारत के साथ संबंधों पर टिप्पणी कर रहे हैं, उनका भारत ने बहुत ही सलीके से कूटनीतिक जवाब दिया है। भारत ने संकेत दिया है कि बहुत लंबे समय से स्थगित चीन व रूस के साथ त्रिपक्षीय सहयोग वार्ता फिर से शुरू की जा सकती है। यह संकेत गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ दिया गया है। वह भी तब, जब दो दिन पहले विदेश मंत्री जयशंकर चीन में वहां के विदेश मंत्री, उपराष्ट्रपति, सीपीसी के वरिष्ठ अधिकारी और राष्ट्रपति से अलग-अलग मुलाकात कर चुके हैं।


5.

अमेरिका जाकर अपराध किए तो रद होगा वीजा

अमेरिका जाकर अपराध को अंजाम देने पर बीजा रद ही सकता है। भारत स्थित अमेरिका के दूतावास ने चेताया है कि अमेरिका जाकर हमला, चोरी या सेंधमारी को अंजाम देने बले बीजाधारकों की न केवल कानूनी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, बल्कि बीजा भी रद किया जा सकता है। इतना ही नहीं, ऐसे आरोपितों को भविष्य में अमेरिकी वीजा के लिए 'अयोग्य' भी करार दिया जा सकता है। बनी इस तरह के आरोपित के अमेरिका में दौबारा प्रवेश करने से भी रोक लगाई जा सकती है। बुधवार को जारी किए गए बयान में दूतावास ने यह भी कहा कि अमेरिका विदेशी आगंतुकों से अपेक्षा करता है कि वे सभी अमेरिकी कानूनों का पालन करें। यह बयान दूतावास के एक्स हैंडल पर साझा किया गया। 


6.

पृथ्वी की बेहतर निगरानी की भारत को मिलेगी शक्ति

अंतरिक्ष सेक्टर में भारत और अमेरिका के बीच सहयोग के लिए इस माह का आखिरी हस्ता बेहट महत्वपूर्ण होगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नास की संयुक्त परिवेना, नास-इसरी सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसर) उपग्रह 30 जुलाई, 2025 की आंध्र प्रदेश के बोहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच हीने के लिए तैयार है। 15 बिलियन डालर की लागत अबला यह मिशन पृथ्वी की सतह की निगरानी में अभूतपूर्व बदलाव लाने वाला है। रूस यूक्रेन युद्ध, आपरेशन सिंदूर और उसके बाद इजरायल ईरान युद्ध ने यह साबित किया है कि पृथ्वी पर नजर रखने वाले सैटेलाइट की खानीतिक अहमियत अब काफी बढ़ गई है, ऐसे में निसार उपग्रह को भारत एवं अमेरिका के लिए बहुत उपवेगे माना जा रहा है। 


7.

बाजार भुनाने को अभी तैयार नहीं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग

समय के साथ जिस तरह से आमजन की खानपान की शैली बदली है, यह खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए भी विकास और विस्तार की नई संभावनाएं दिखा रही है। लेकिन भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग अभी बाजार को पूरी तरह से भुनाने की स्थिति में नजर नहीं आ रहा। 


8.

स्वदेशी अंतरिक्षयान में उड़ान भरेगा अगला भारतीय अंतरिक्षयात्री

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि अगला भारतीय अंतरिक्षयात्री स्वदेशी अंतरिक्षयान से यात्रा करेगा। शुभांशु शुक्ला की सफल अंतरिक्ष यात्रा से भारत के भविष्य के अभियानों के लिए विशेषज्ञता मिली है। शुभांशु अंतरिक्ष यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय हैं। वह अमेरिकी अंतरिक्षयान से धरती पर लौटे हैं। 


9.

आदिवासी महिला पैतृक संपत्ति में बराबरी की हकदार: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि आदिवासी महिला और उसके उत्तराधिकारी पैतृक संपत्ति में बराबरी के हिस्से के हकदार हैं। जबतक कानून में अन्यथा नहीं कहा गया हो, तब तक संपत्ति में महिला उत्तराधिकारी के हक को नकारने से सिर्फ लैंगिक विभाजन और भेदभाव बढ़ता है, जिसे कानून की स्पष्टता से समाप्त किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने छत्तीसगढ़ के गोंड आदिवासी समुदाय की महिला और उसके उत्तराधिकारियों के पैतृक संपत्ति पर कानूनी हक की मुहर लगाने वाला यह फैसला 150 साल पुराने कानून में अदालत को मिली 'न्याय करने की विशेष शक्ति' का इस्तेमाल करते हुए और संविधान में दिए गए बराबरी के हक और लैंगिक भेदभाव की मनाही के सिद्धांत पर दिया है। पीठ ने कहा, "न्याय, समानता और सद्भावना के सिद्धांत को लागू करते समय अदालतों को इस खुली अवधारणा को संदर्भ के अनुसार लागू करना चाहिए।


10.

भारत की मिसाइल शक्ति को मिली नई ऊंचाई

भारत ने गुरुवार को ओडिशा स्थित चांदीपुर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पृथ्वी-दो और अग्नि- एक बैलिस्टिक मिसाइलों के सफल परीक्षण किए। रक्षा मंत्रालय के अनुसार स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड की निगरानी में यह परीक्षण डीआरडीओ द्वारा इन मिसाइलों के सभी तकनीकी मानकों की पुष्टि के लिए किए गए थे जोकि सफल रहे। दोनों ही कम दूरी की मिसाइलें परीक्षण के तय मानकों पर खरी उतरी हैं। 


11.

एनसीईआरटी ने दिया सिख इतिहास व मराठा विरासत को समुचित स्थान

एनसीईआरटी की कक्षा-आठ की सामाजिक विज्ञान की नई पाठ्यपुस्तक में मराठा नेताओं के विस्तृत दृष्टिकोण, सिख धर्म के इतिहास और शक्तिशाली क्षेत्रीय राजवंशों से लेकर नरसिंहदेव 1 जैसे अनदेखे शासकों तक का समावेश है। 


12.

मानसिक स्वराज भी आवश्यक है

भारतीय शिक्षा को अब भारतीय ज्ञान परंपरा के रूप में ढालने के लिए पहल की जा रही है। इसे लेकर आम आदमी के मन में कुछ सवाल खड़े हो रहे हैं। जैसे भारतीय होने का क्या अर्थ है? जो ज्ञान परंपरा स्वतंत्र भारत में चल रही है, वह किस अर्थ में भारतीय नहीं है या कम भारतीय है? भारतीय ज्ञान परंपरा का स्वरूप क्या है? वह किस रूप में दूसरी ज्ञान परंपराओं से अलग है? इस भारतीय ज्ञान परंपरा की विशिष्टता क्या है, जो हम इसकी ओर मुड़ें? आज के ज्ञान-युग में सामर्थ्यशाली होने के लिए इन पर विचार करना जरूरी है। आखिरकार यह पूरे समाज की मनोवृत्ति, आचरण और देश के सांस्कृतिक अस्तित्व का सवाल है। शिक्षा की दृष्टि से यह एक गंभीर तथ्य हो जाता है कि आज हम आलोचनात्मक रूप से चिंतनहीन और सृजनात्मकता की दृष्टि से पंगु होते जा रहे हैं। 


13.

सामाजिक सुरक्षा का बढ़ता दायरा

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) के अनुसार भारत में करीब 56 प्रतिशत लोगों को किसी न किसी रूप में सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिल रहा है। सामाजिक सुरक्षा का मतलब केवल पेंशन या बेरोजगारी भत्ते तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व लाभ, बचत योजनाएं, दुर्घटना बीमा और दिव्यांगता भत्ते जैसी तमाम सुविधाएं भी शामिल हैं। इससे पता चलता है कि पिछले कुछ वर्षों में सरकारों द्वारा चलाई गई योजनाओं ने आमजन के जीवन में एक बहुआयामी सुरक्षा जाल बिछाने का काम किया है। सरकारी प्रयासों में सबसे बड़ा योगदान प्रधानमंत्री जन-धन, आयुष्मान भारत, अटल पेंशन, उज्ज्वला गैस कनेक्शन, प्रधानमंत्री आवास और सोशल सिक्योरिटी कोड जैसी योजनाओं का रहा है। इन्होंने गांवों में बैंकिंग, स्वास्थ्य और पेंशन सेवा पहुंचाने में मदद की है। 


14.

बुनियादी ढांचा निर्माण में गुणवत्ता सुधार

हमारे देश में तेजी से शहरीकरण बढ़ रहा है। इससे शहरों के बुनियादी ढांचे पर दबाव भी तेजी से बढ़ रहा है। यह समस्या तब और अधिक बढ़ जाती है, जब शहरों में बारिश हो, या फिर लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने में असमर्थता दिख रही हो। परिवहन प्रणाली की स्थिति तो जगजाहिर है कि तमाम प्रयासों के बावजूद ट्रेनों में प्रतीक्षा सूची को समाप्त करने में अब तक कामयाबी नहीं मिल पाई है। ऐसे में सभी को पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराने और विकसित देशों की पंक्ति में खड़ा होने के लिए बुनियादी ढांचा निर्माण की दिशा में हमें अभी बहुत कार्य करना है। शहरों में अवसंरचना की हमारी तैयारी बेहद कमजोर है। जल निकासी, ठोस कचरा प्रबंधन, सार्वजनिक परिवहन, पीने के पानी और हरित क्षेत्र जैसी जरूरतें उपेक्षा की शिकार हैं। 


15.

जल जनित आपदा से बचाव

जलवायु परिवर्तन के दौर ने दौर ने पहाड़ हो या मैदान, सागर हो या रेगिस्तान, गरम होती धरा में तूफानों की संख्या को तेजी से बढ़ाया है। बादल फटने से एकाएक होने वाली बहुत अधिक बारिश एवं ग्लेशियरों में झीलों का बनना तथा हिमस्खलन जैसी घटनाएं भी बढ़ी हैं। भयंकर तूफानों के साथ भारी बरसात भी आ जाती है। इन सभी से फ्लैश फ्लइस का वातावरण भी बनता है। बढ़ते फ्लैश फ्लड्स के साथ नदी बांध जलाशयों एवं नदी जल विद्युत परियोजनाओं पर भी जोखिम बढ़े हैं। फ्लैश फ्लड्स के कारण पानी और मलबा मिलकर बांध पर भारी बदाव पैदा करते हैं जिससे वे टूट जाते हैं। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि इससे दूर-दूर तक तबाही आती है। वैसे पानी के प्रवाह को रोकने के लिए दशकों पहले विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं और पेयजल की जरूरतों को पूरा करने एवं बाढ़ जैसी स्थिति को टालने के लिए बड़ी संख्या में बांध बनाए गए। फ्लैश फ्लड्स की स्थितियों में भारी जलराशि आने से जलाशयों व परियोजनाओं के माध्यम से अन्य क्षेत्रों को बचाना होता है। परंतु यदि जलाशयों के सभी गेट यदि नहीं खुले हों तो फ्लैश फ्लड्स से तबाही की आशंका बढ़ जाती है। 


16.

सस्ते हो सकते हैं पेट्रोल-डीजल : हरदीप पुरी

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि अगर मौजूदा वैश्विक हालात ऐसे ही बने रहे और कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा 65 डालर के आसपास बनी रहीं तो तीन-चार महीनों में देश में पेट्रोलियम उत्पादों की खुदरा कीमतों में कमी आ सकती है। देश में हाइड्रोकार्बन क्षेत्र पर आयोजित सबसे बड़े सेमिनार 'ऊर्जा वार्ता 2025' को संबोधित करते हुए पुरी ने कहा, 'सरकारी क्षेत्र की सभी तेल कंपनियों के पास 21 दिनों का भंडार है।' बुधवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत 67 डालर प्रति बैरल रहीं। वैश्विक स्तर पर भारी अनिश्चितता के बावजूद भारत में कमोवेश पिछले साढ़े तीन वर्षों में पेट्रोल, डीजल की खुदरा कीमतें स्थिर रही हैं।


17.

मंदी का संकेत दे रहे अधिकांश सेक्टर

आरबीआइ द्वारा रेपो रेट में कटौती और बैंकिंग प्रणाली में नकदी बढ़ाकर विकास को बढ़ावा देने के प्रयासों के बावजूद प्रमुख सेक्टरों में विकास की गति कमजोर दिख रही है। वित्तीय सेवा कंपनी नुवामा की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अधिकांश सेक्टरों में वृद्धि एक साल पहले दोहरे अंकों में थे, लेकिन अब यह एक अंक में सिमटकर कोरोना महामारी के पहले के स्तर पर आ गई है। 


18.

ब्लैक फंगस से तो बची जान, अब बिगड़ रहा चेहरा

कोरोना के दौरान तेजी से फैले ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) को लेकर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) द्वारा किए गए एक अध्ययन में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। अध्ययन के अनुसार, म्यूकोरमाइकोसिस से पीड़ित और ठीक हुए लोगों को फंगल संक्रमण के दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों जैसे चेहरे की विकृति और बोलने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। क्लिनिकल माइक्रोबायोलाजी और इन्फेक्शन में प्रकाशित इस अध्ययन के दौरान देशभर के 26 अस्पतालों में भर्ती 686 मरीजों का विश्लेषण किया गया। 


19.

महिलाओं में एडीएचडी बढ़ा सकता है पीएमडीडी

एडीएचडी एक गंभीर स्थिति है और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई को इसका प्रमुख लक्षण माना गया है लेकिन महिलाओं को इससे मासिक धर्म चक्र से संबंधित दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। क्वींस मैरी यूनिवर्सिटी आफ लंदन की ओर से किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, महिलाओं में एडीएचडी होने के कारण वे मासिक धर्म चक्र से संबंधित मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उच्च जोखिम में होती हैं। उन्होंने बताया कि एडीएचडी होने से महिलाएं प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसआर्डर (पीएमडीडी) का अनुभव करने की लगभग तीन गुना अधिक संभावना रखती हैं। अध्ययन के दौरान यूके के 18 से 34 वर्ष की उम्र की 715 महिलाओं का एक आनलाइन सर्वेक्षण किया। 


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