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JANSATTA

1.

संयम विवेक देता है, ध्यान एकाग्रता प्रदान करता है। शांति, संतुष्टि और परोपकार मनुष्यता देते हैं।

-ईश्वर चंद्र विद्यासागर


2.

एससीओ को आतंकवाद से निपटने पर अडिग रुख अपनाना चाहिए : जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत की कार्रवाई को उचित ठहराते हुए मंगलवार को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में कहा कि संगठन को आतंकवाद और चरमपंथ से निपटने के अपने स्थापना उद्देश्य पर कायम रहना चाहिए और इन चुनौतियों से निपटने में कोई समझौता नहीं करने वाला रुख अपनाना चाहिए।


3.

प्रतिभा पर भारी अंकों का बोझ

हम इक्कीसवीं सदी के उस मोड़ पर खड़े हैं जहां तकनीक, विज्ञान और वैश्विक सोच की बात तो बहुत होती है, लेकिन शिक्षा के मूल उद्देश्य और दृष्टिकोण पर आज भी हम बीते युगों की परछाइयों से घिरे हैं। शिक्षा को ज्ञान, चेतना और जीवन कौशल का माध्यम मानने के बजाय अब इसे अंकों की दौड़ में बदल दिया गया है। एक ऐसी दौड़, जिसमें बच्चों से उनका बचपन, उनकी सहजता और कभी-कभी उनका जीवन तक छिन जाने की स्थिति बना दी जाती है। यह दौड़ केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि एक वैश्विक बीमारी का रूप ले चुकी है, जिसके सामाजिक, मानसिक और सांस्कृतिक परिणाम भयावह हैं। ऐसी अनेक घटनाएं सामने आती रहती हैं, जिसमें किसी बच्चे को स्कूली या अन्य प्रतियोगी परीक्षा के नतीजों में अभिभावकों की उम्मीद से कम अंक आते हैं, तो बच्चों को डांट-फटकार मिलती है। इस क्रम में अभिभावकों और बच्चों के बीच अगर कभी तीखी बहस हो जाती है, तो कई बार बच्चों को बुरी तरह पीटा भी जाता है। ऐसी घटनाएं आम होती जा रही हैं। यह स्थिति उस मानसिक जाल का परिणाम है, जिसमें परिवार, समाज और शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह उलझ चुकी है। आज एक बच्चा केवल इसलिए 'अच्छा' या 'बुरा' घोषित कर दिया जाता है कि उसने कितने फीसद अंक अर्जित किए। वह कितना ईमानदार, बुद्धिमान या संवेदनशील है, यह कोई नहीं देखता।


4.

क्रोध के पायदान

मनुष्य एक भावनात्मक प्राणी है। उसके भीतर प्रेम, करुणा, ईर्ष्या, डर, आशा और गुस्सा जैसी अनेक भावनाएं जन्म लेती रहती हैं। इनमें से गुस्सा एक ऐसी भावना है, जिसे लगभग हर व्यक्ति ने कभी न कभी अनुभव किया है। गुस्सा केवल एक नकारात्मक भावना नहीं, बल्कि एक संकेतक है जो हमें बताता है कि हमारे भीतर कुछ असंतोष है, हमारी अपेक्षाएं टूटी हैं या हमें किसी बात से पीड़ा पहुंची है। लेकिन जब यही गुस्सा हमें अपने संबंधों और सामाजिक व्यवहार को नियंत्रित करने लगता है, तब यह समस्या बन जाता है। आज के तनावपूर्ण जीवन, प्रतिस्पर्धा और संचार की कमी के युग में यह प्रश्न प्रासंगिक हो गया है- आखिर हम सबको गुस्सा क्यों आता है? इसके पीछे कई कारण होते हैं। यह केवल एक क्षणिक प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि मन, मस्तिष्क और सामाजिक परिवेश की एक जटिल प्रक्रिया का परिणाम है।


5.

अभिव्यक्ति का दायरा

किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में अभिव्यक्ति की आजादी एक जीवन-तत्त्व के रूप में काम करती है। यह एक प्रगतिशील सोच वाले समाज की परिपक्वता की भी पहचान है कि वह किसी के विचार पर गौर करे और चाहे तो अनदेखी करे। उससे आगे अगर सहमति-असहमति का प्रश्न आता है, तो उसके लिए लोकतांत्रिक मूल्यों का निर्वाह करे। विडंबना यह है कि कई बार अभिव्यक्ति को सवालों के घेरे में आते देखा जाता है, तो कभी उसे सीमित करने की भी कोशिश की जाती है। ये दोनों स्थितियां लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप नहीं हैं। ऐसे में यह सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है कि एक ओर अधिकार के रूप में अभिव्यक्ति को बाधित नहीं किया जाए, तो दूसरी ओर इसकी गरिमा को बनाए रखने की कोशिश की जाए। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने सोशल मीडिया के एक मंच पर कथित आपत्तिजनक व्यंग्य-चित्र लगाने के संदर्भ में कार्टून बनाने वाले को दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया। हालांकि अदालत ने सोशल मीडिया पर बढ़ती आपत्तिजनक सामग्री पर चिंता जाहिर की और इस पर अंकुश लगाने के लिए न्यायिक आदेश पारित करने की जरूरत पर भी जोर दिया।


6.

राज्यों को दुर्लभतम मामलों में ही 'जमीन के बदले जमीन' की नीतियां बनानी चाहिए

उच्चतम न्यायालय ने राज्यों को उनकी 'जमीन के बदले जमीन' संबंधी नीतियों के प्रति आगाह करते हुए कहा है कि ऐसी योजनाएं 'दुर्लभतम मामलों' में ही लागू की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार के भूमि अधिग्रहण का विरोध करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आजीविका के अधिकार से वंचित करने की दलील 'टिकने वाली' नहीं है। पीठ ने हरियाणा सरकार की ओर से दायर मुकदमे को सभी राज्यों के लिए 'आंखें खोलने वाला' बताया।


7.

व्यापार घाटा चार महीने के निचले स्तर 18.78 अरब डालर पर

देश का वस्तु निर्यात जून महीने में 35.14 अरब डालर पर स्थिर रहा। वहीं, व्यापार घाटा चार महीने के निचले स्तर 18.78 अरब डालर रहा। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। पिछले साल जून में निर्यात 35.16 अरब डालर था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य महीने में आयात 3.71 फीसद घटकर 53.92 अरब डालर रहा। एक साल पहले जून माह में यह 56 अरब डालर था। पेट्रोलियम, कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, चमड़ा, लौह अयस्क, तिलहन, काजू, मसाले, तंबाकू और काफी सहित प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में आलोच्य महीने के दौरान गिरावट दर्ज की गई।


8.

भारत की अर्थव्यवस्था 6.5% की दर से बढ़ेगी

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष एस महेंद्र देव ने मंगलवार को कहा कि भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार नीति से जुड़ी अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष (2025-26) में 6.5 फीसद की दर से बढ़ने की उम्मीद है। देव ने कहा कि अच्छे मानसून और नीतिगत ब्याज दर में लगातार तीन कटौतियों की वजह से मुद्रास्फीति कम रहने से घरेलू वृद्धि को समर्थन मिलेगा।


9.

एक हजार सरकारी आइटीआइ को उन्नत बनाने का कार्यक्रम जल्द शुरू

सरकार देश भर में मौजूद 3,000 सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आइटीआइ) में से करीब 1,000 संस्थानों को उन्नत बनाने के लिए जल्द ही एक कार्यक्रम शुरू करेगी। यह कार्यक्रम मई में अनुमोदित 60,000 करोड़ रुपए की केंद्र प्रायोजित योजना का हिस्सा है। केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री जयंत चौधरी ने मंगलवार को विश्व युवा कौशल दिवस के अवसर पर आइटीआइ को अपनी गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान देने के साथ उनके नवनिर्माण के लिए किए जा रहे विभिन्न उपायों को रेखांकित किया।


10.

पर्यावरण अपराध व भूमि क्षरण पर हुई चर्चा

दक्षिण अफ्रीका में आयोजित जी 20 पर्यावरण एवं जलवायु स्थिरता कार्य समूह (ईसीएसडब्लूजी) की बैठक में पर्यावरणीय अपराध और भूमि क्षरण जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई। सोमवार को प्रतिष्ठित क्रूगर राष्ट्रीय उद्यान के सबसे बड़े विश्राम शिविर और प्रशासनिक मुख्यालय, स्कुकुजा में हुई यह बैठक, दक्षिण अफ्रीका द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की शृंखला का हिस्सा है, जो इस वर्ष जी20 की अध्यक्षता कर रहा है। नवंबर में होने वाले जी20 राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन से पहले ये कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।


11.

सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए तंत्र में सुधार जरूरी

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को एससीओ सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों से कहा कि समूह को सुरक्षा खतरों और चुनौतियों का जवाब देने के लिए तंत्र में सुधार करना चाहिए तथा एक ठोस सुरक्षा कवच तैयार करना चाहिए। विदेश मंत्री एस जयशंकर 10 सदस्यीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के उन विदेश मंत्रियों और स्थायी निकायों के प्रमुखों में शामिल थे, जिनसे जिनपिंग ने तियानजिन में उनकी बैठक से पहले यहां मुलाकात की।


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