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DAINIK JAGRAN

1.

देश को मिली पहली स्वदेशी चिप 'विक्रम-3201

पिछले साढ़े तीन साल से चल रहे इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के तहत मंगलवार को भारत में चिप युग का आगाज हो गया। सेमीकान इंडिया-2025 के उद्घाटन के मौके पर इलेक्ट्रानिक्स एवं आइटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत में निर्मित पहली चिप विक्रम-3201 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपी। इसे इसरो की सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला द्वारा तैयार किया गया है। कुछ वर्षों पहले तक भारत में चिप निर्माण को असंभव माना जाता था, लेकिन अब इस वर्ष से भारत में चिप का कामर्शियल निर्माण होने लगेगा। मतलब कार से लेकर फ्रिज व टीवी में इस्तेमाल होने वाली चिप अब भारत में बनने लगेंगी और कुछ सालों में भारत इसका निर्यातक भी बन जाएगा। अभी चिप के लिए भारत पूरी तरह से आयात पर निर्भर है। दुनिया मैं अभी ताइवान, अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया, मलेशिया जैसे देश चिप का निर्माण करते हैं।


2.

आत्मनिर्भर भारत के लिए गेम चेंजर है माइक्रो चिप

• पहली पूर्ण स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर "विक्रम 3201 चिप में कस्टम इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर है। यह चिप एक समय में 32 बिट डाटा को मैनेज कर सकती है। कंप्यूटर में डाटा मेमोरी में जगह घेरता है। इसे मापने के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे छोटी यूनिट बिट कहलाती है।

• माइक्रोप्रोसेसर की मदद से प्रक्षेपण यानों के नेविगेशन और नियंत्रण में मदद मिलती है। यह चिप अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में काफी मददगार हो सकती है। प्रोसेसर्स के सभी टूल्स भी स्वदेशी है।

• इसमें एडीए प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के लिए उच्च-स्तरीय समर्थन भी है, जो अपनी विश्वसनीयता के लिए जानी जाती है। उपग्रहों, वायु यातायात नियंत्रण प्रणालियों और राकेटों में इसका उपयोग होता है।

• चिप को अंतरिक्ष की मुश्किल परिस्थितियों में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह-55 से 125 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को झेल सकती है।

• देश में चिप निर्माण से जुड़े 10 प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। इनमें 1.6 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। चार प्रोजेक्ट्स में पायलट आधार पर चिप का निर्माण हो रहा है। दुनियाभर में बनने वाली चिप डिजाइनिंग का 20 प्रतिशत काम भारत में होता है।

• सेमीकंडक्टर क्षेत्र में क्वालकाम, इंटेल, एनवीडिया, ब्राडकाम और मीडियाटेक जैसी वैश्विक कंपनियों ने बेंगलुरु, हैदराबाद और नोएडा में बड़े रिसर्च एंड डेवलपमेंट और डिजाइन केंद्र स्थापित किए हैं।


3.

नवंबर तक भारत-अमेरिका व्यापार समझौता होने की उम्मीद : गोयल

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को उम्मीद जताई कि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बीटीए) इस साल शरद ऋतु या नवंबर तक पूरा हो जाएगा। दुनिया भर में भारत के साथ व्यापार और कारोबारी संबंधों को विस्तार देने के लिए उत्साह है। उन्होंने कहा, 'भारत पहले ही आस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), मारीशस ब्रिटेन और यूरोपीय देशों के चार सदस्यीय समूह ईएफटीए के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) कर चुका है।'


4.

अपराध में शामिल विदेशियों को भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं

भारत-विरोधी गतिविधियों, जासूसी, बलात्कार और हत्या, आतंकी गतिविधियों में शामिल होने, बाल तस्करी या किसी प्रतिबंधित संगठन का सदस्य होने के आरोप में दोषी ठहराए जाने वाले विदेशी नागरिकों को देश में प्रवेश करने या यहां रहने की अब अनुमति नहीं दी जा सकती है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि हाल ही में लागू किए गए आव्रजन और विदेशी अधिनियम, 2025 के तहत, हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश डिटेंशन सेंटर बनाएंगे, ताकि ऐसे विदेशियों की आवाजाही को तब तक प्रतिबंधित किया जा सके, जब तक कि उन्हें निर्वासित नहीं कर दिया जाता।


5.

2024 तक आए प्रताड़ित हिंदुओं, सिखों, जैनियों को भारत में रहने की अनुमति

गृह मंत्रालय ने कहा है-31 दिसंबर-2024 तक अफगानिस्तान, बांग्लादेश व पाकिस्तान से भारत आए अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी व ईसाई) को बिना पासपोर्ट या अन्य दस्तावेजों के भारत में रहने की अनुमति दी जाएगी, जिनका उनके देशों में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न किया गया है। यह महत्वपूर्ण आदेश पाकिस्तान से आए हिंदुओं सहित बड़ी संख्या में तीन इस्लामी देशों के अल्पसंख्यक विदेशी लोगों के लिए राहत का कारण बनेगा, जो 2014 के बाद भारत में आए थे और अपनी किस्मत को लेकर चिंतित थे। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष लागू हुए देश के नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के अनुसार, 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए इन तीन देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। अब गृह मंत्रालय के नए फैसले से दस साल बाद तक आए इन देशों के अल्पसंख्यकों को भी भारत में रहने की फिलहाल छूट दी गई है।


6.

राष्ट्रपति-राज्यपाल ने तय समय का पालन नहीं किया, तब क्या होगा

सुप्रीम कोर्ट ने प्रेसिडेंशियल रिफरेंस के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए अपनी हो शक्तियों पर संदेह व्यक्त किया। विधेयकों पर निर्णय के चारे में समय सीमा तय करने और तब समय में निर्णय न लेने पर कोर्ट द्वरा स्वतः मंजूरी (डीम्ड एसेंट) पर भी सवाल किए।


7.

न्यायिक समीक्षा सुप्रीम कोर्ट का अधिकार

केंद्र सरकार ने सुनवाई के दौरान कस मसले पर सवाल उठाया कि किसी भी तरह की न्यायिक समीक्ष से संवैधानिक असतुलन पैदा हो सकता है और में शक्तियों के बटवारे के सिद्धांत के खिलाफ माना जाएगा। उस पर मिनर्वा मिल्ला के मामले पर शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लेख करते हुए बैठ ने कहा कि न्यायिक समीक्षा संविधान के मूलभूत ढांचे का हिस्सा है। संविधान का अनुच्छेद 142 सर्वांचा न्यायालय को अपने समक्ष किसी भी मामले में पूर्ण न्याय प्राथा करने के लिए आवश्यक कोई भी आदेश पारित करने की असाधारण शक्ति प्रदान कराता है, भले ही इसमें मौजूदा कानूनों को रद करना या उनमें मौजूद खामियों को दूर करना शामिल हो।


8.

क्या है प्रेसिडेंशियल रिफरेंस का मुद्दा

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट को 14 संवैधानिक सवाल भेजकर राय मार्ग है। इसे ही ऐसिडेंशियल रिफरेंस कहा जा रहा है। राष्ट्रपति ने पूछा है कि जब संविधान में विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है तो क्या कोर्ट समरा सीना तय कर सकता है।


9.

डिजाइन इन इंडिया

प्रधानमंत्री ने सेमीकान इंडिया कार्यक्रम में विश्व भर के निवेशकों को भारत आने का निमंत्रण देते हुए डिजाइन इन इंडिया की जो बात कही, वह मेक इन इंडिया का विस्तार ही है। आत्मनिर्भरता की बातें हो रही हैं। जब स्वदेशी और आत्मनिर्भरता पर बल दिया जाता है तो कुछ उत्साही लोग और संगठन चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का अभियान चलाने लगते हैं। इस सबके बीच तथ्य यह है कि न तो स्वदेशी अपनाने की दिशा में अपेक्षित ढंग से आगे बढ़ा जा पा रहा है और न ही देश को वास्तव में आत्मनिर्भर बनाने के लिए। आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य तभी पूरा होगा जब मेक इन इंडिया के साथ डिजाइन इन इंडिया के तहत जो पहल की जा रही है, वह कारगर साबित होगी। इससे इन्कार नहीं कि मेक इन इंडिया पहल ने काफी कुछ प्रभाव दिखाया है और इसका प्रमाण यह है कि आज भारत में बड़ी संख्या में मोबाइल फोन बन रहे हैं और वे निर्यात भी हो रहे हैं। सेमीकंडक्टर निर्माण की दिशा में जो सफलता मिलती दिख रही है, वह भी इसी पहल का परिणाम है, लेकिन यह समझना कठिन हो रहा है कि भारतीय उद्योग जगत देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए वैसी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन क्यों नहीं कर पा रहा है, जैसी उसकी ओर से की जानी चाहिए थी ?


10.

चीन को सुधारना होगा अपना रवैया

शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ की बैठक में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री सात साल बाद चीन गए। इस दौरान मेजबान चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अलावा कई अन्य नेताओं के साथ उनकी वार्ता हुई। कई मोचौँ पर प्रगति के बावजूद इस तथ्य को अनदेखा नहीं किया जा सकता कि एससीओ आंतरिक विरोधाभासों से भरा हुआ है। कई सदस्य इस मंच का उपयोग अपने संकीर्ण हितों की पूर्ति और भू-राजनीतिक लाभ के लिए करते हैं, जिससे परस्पर विश्वास का अभाव और मतभेद उत्पन्न होते हैं। इसका ही परिणाम है कि यह मंच आतंकवाद, कनेक्टिविटी की कमी और अफगानिस्तान की स्थिति जैसे प्रमुख क्षेत्रीय संकटों के प्रभावी ढंग से समाधान में असफल रहा है। चीन की भूमिका भी समस्याओं से भरी है। भारत के खिलाफ आतंकवाद को एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करते आ रहे पाकिस्तान का चीन हरसंभव तरीके से बचाव करता आया है। पाकिस्तान के 80 प्रतिशत से अधिक रक्षा उपकरण अब चीन से आने लगे हैं। आपरेशन सिंदूर के दौरान भी उसने पाकिस्तान को सहायता पहुंचाई। बीजिंग के संकीर्ण रणनीतिक हितों ने अफ-पाक क्षेत्र को आतंकवाद का गढ़ बना दिया है। इससे एससीओ कमजोर पड़ता है। वर्ष 2017 में पूर्ण सदस्य के रूप में एससीओ में शामिल होने के बाद से भारत ने इस संगठन की कनेक्टिविटी और ऐसे सहयोगात्मक प्रयासों की और मोड़ने का प्रयास किया है, जो संप्रभुता का सम्मान करते हों। नई एससीओ ने भारत और चीन को सीधे संवाद का एक मंच भी प्रदान किया और दोनों देशों ने मतभेदों के बावजूद द्विपक्षीय मुद्दों पर समाधान तलाशने की इच्छा भी जताई। इन मुचें में सीमा निर्धारण और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानी बीआरआइ के तहत गुलाम जम्मू-कश्मीर में चीनी निवेश जैसे मुद्दे भी शामिल हैं, जो भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देते हैं


11.

रेल की पटरियों के बीच सौर ऊर्जा की संभावनाएं

भारतीय रेलवे ने रेल की पटरियों के बीच सौर ऊर्जा की संभावनाएं तलाशने में कामयाबी हासिल की है। बनारस लोकोमोटिव वर्क्स कारखाना में पहली बार रेल की पटरियों के बीच रिमूवेबल सोलर सिस्टम स्थापित किया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अभी 70 मीटर रेलवे ट्रैक पर 28 सोलर पैनल स्थापित किए गए हैं, जिससे 18 किलोवाट सौर ऊर्जा का उत्पादन हो सकता है। इस पहल ने साबित किया है कि रेल की पटरियां रेल परिवहन को गति देने के साथ सतत ऊर्जा का आधार भी बन सकती हैं। स्विट्जरलैंड के अलावा दुनिया के किसी भी देश ने अब तक रेल की पटरियों के बीच सौर पैनल लगाने के प्रयोग को धरातल पर नहीं उतारा है।


12.

अमेरिका पहली बार भारत को हस्तांतरित करेगा परमाणु प्रौद्योगिकी

देश के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि अमेरिका अपनी परमाणु प्रौद्योगिकी भारत को हस्तांतरित करने जा रहा है। अमेरिका की फ्लोसर्व कॉर्पोरेशन ने भारत की कोर एनर्जी सिस्टम्स लिमिटेड के साथ देश में परमाणु ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राइमरी कूलैंट पंप (पीसीपी) प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए समझौता किया है। इस प्रौद्योगिकी की मदद से 2047 तक भारत परमाणु ऊर्जा से 100 गीगावाट बिजली उत्पादन के अपने लक्ष्य को पूरा कर सकेगा। वर्तमान में केवल 8.2 गीगावाट ऊर्जा का उत्पादन परमाणु संयंत्रों के जरिये हो रहा है।


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